योजना आयोग के उपाध्याक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बाद अब गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने गरीबों का मजाक उड़ाया है। उनकी सरकार के अनुसार, अगर गांव में रहने वाला व्यक्ति 11 रुपए और शहर का व्यक्ति 17 रुपए रोज कमाता है तो वह गरीब नहीं है।
राज्य सरकार ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को जारी किए एक पत्र में कहा है कि हर महीन 324 रुपए कमाने वाले ग्रामीण और 501 रुपए कमाने वाले शहरी को गरीबी रेखा से ऊपर रखा जा सकता है।
राज्य सरकार ने 16 दिसंबर को यह पत्र जारी किया था।
इसको लेकर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से इस पर टिप्पणी करने को कहा है।
गौरतलब है कि 2011 में योजना आयोग के उपाध्याक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा था कि 32 रुपए कमाने वाला शहरी और 26 रुपए कमाने वाला ग्रामीण गरीब नहीं है। उस समय भाजपा समेत विरोधी दलों ने इस पर शख्त ऐतराज जाताया था।
राज्य सरकार ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को जारी किए एक पत्र में कहा है कि हर महीन 324 रुपए कमाने वाले ग्रामीण और 501 रुपए कमाने वाले शहरी को गरीबी रेखा से ऊपर रखा जा सकता है।
राज्य सरकार ने 16 दिसंबर को यह पत्र जारी किया था।
इसको लेकर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से इस पर टिप्पणी करने को कहा है।
गौरतलब है कि 2011 में योजना आयोग के उपाध्याक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा था कि 32 रुपए कमाने वाला शहरी और 26 रुपए कमाने वाला ग्रामीण गरीब नहीं है। उस समय भाजपा समेत विरोधी दलों ने इस पर शख्त ऐतराज जाताया था।
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