Friday, January 3, 2014

तिहाड़ आइडल: जब कैदियों ने मिलाए सुर-ताल

तिहाड़ जेल में भारतीय माहौल का असर विदेशी कैदियों पर भी दिखने लगा है। विदेशी कैदी न सिर्फ हिंदी बोल रहे हैं बल्कि हिंदी के गायक भी बन रहे हैं।

तिहाड़ जेल प्रशासन की योजना परवान चढ़ी और तिहाड़ आईडल्स का आयोजन हुआ तो उसमें कई विदेशी अपनी गायकी का जौहर दिखाएंगे।

तिहाड़ जेल में सबसे अधिक अफ्रीकी मूल के कैदी हैं। इनके अलावा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और यूरोपियन देशों के कैदी हैं। सभी को मिलाकर सौ से अधिक विदेशी पुरुष कैदी और महिला कैदी भी पचास के करीब हैं।

तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे पठन-पाठन के कार्यक्रमों में विदेशी कैदियों का हिंदी प्रेम बढ़ रहा है। कई कैदियों ने तो हिंदी में बातचीत भी करनी शुरू कर दी है।

विदेशी कैदियों की भारतीय संगीत में अभिरुचि को देखते हुए तिहाड़ जेल प्रशासन ने अब उन्हें हिंदी गायन सिखाने का निर्णय लिया है। प्रथम चरण में तिहाड़ के एक दर्जन विदेशी कैदियों को चयनित किया गया है।

जेल स्थित संगीत रूम में इन्हें गायकी का गुर सिखाया जाएगा। गायकी में दक्षता हासिल करने के बाद सभी कैदियों की मंचीय प्रस्तुति जेल में ही कराई जाएगी।

तीन साल पहले इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से तस्करी के आरोप में गिरफ्तार अफ्रीकी मूल का कैदी माइकल अब भारतीय माहौल में पूरी तरह से रच-बस गया है।

हिंदी फिल्मी गीतों के प्रति बढ़ती अभिरुचि को देखते हुए उसे हिंदी गाने सीखने को कहा गया है। दो साल पहले तस्करी में ही गिरफ्तार नाइजीरिया निवासी जोसफ की इच्छा भी हिंदी गायक बनने की है।

बताया जाता है कि कई विदेशी कैदियों ने पार्श्वगायक मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश के गीत गाना भी शुरू कर दिया है।

अधिकारी का कहना
तिहाड़ जेल के प्रवक्ता सुनील गुप्ता का कहना है कि तिहाड़ जेल में बंद अनेक विदेशी कैदी भारतीय संस्कृति में पूरी तरह से रच-बस गए हैं।

विदेशी कैदियों को हिंदी गायक के रूप में तराशने का काम शुरू हो गया है। गायकी का गुर सीखने के बाद तिहाड़ के कार्यक्रमों में वे अपने गीतों की प्रस्तुति करेंगे। अनेक विदेशी महिलाएं भी जेल में पढ़ने-लिखने और पुस्तकें पढ़ने में तल्लीन रहती हैं।

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