Friday, January 3, 2014

राहुल की बड़ी भूमिका का खुद रास्ता साफ करेंगे पीएम

manmohan singh will clear route for rahul pm candidate
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शुक्रवार को संभवत: अपनी अंतिम प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। माना जा रहा है कि इसमें प्रधानमंत्री राहुल गांधी के लिए आगे का रास्ता सुगम करने की कोशिश करेंगे।

17 जनवरी को कांग्रेस की बैठक से पहले प्रधानमंत्री की प्रेस कांफ्रेंस को लेकर कांग्रेस के अंदर भी यही उम्मीद जताई जा रही है कि राहुल को बड़ी जिम्मेदारी देने की प्रक्रिया की शुरुआत प्रधानमंत्री अपनी ओर से करेंगे।

इसके अलावा प्रधानमंत्री जनता के सामने अपने विकास के कामों की फेहरिस्त भी रखेंगे, जिसके आधार पर कांग्रेस को लोकसभा चुनाव लड़ना है।

महंगाई और भ्रष्टाचार समेत तमाम बदनामी से जूझ रही यूपीए सरकार के मुखिया मनमोहन सिंह अब फाइनल साल 2014 की शुरुआत बेहतर करने की कोशिश में हैं।

लिहाजा, शिक्षा का अधिकार, भूमि अधिग्रहण, खाद्य सुरक्षा कानून, अल्पसंख्यकों की कल्याणकारी योजनाएं, लोकपाल, सूचना का अधिकार और सीधे नकद सब्सिडी समेत तमाम कामों को गिनाने की कोशिश होगी। जबकि विपक्ष के आरोपों का भी जवाब दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री को रिटायरमेंट और इस्तीफे को लेकर लग रही अटकलों को लेकर कठिन सवालों का सामना भी कर पड़ सकता है। सबसे ज्यादा नजर राहुल को प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंपने के सवाल पर है।

कई दिनों से यह खबर चलाई जा रही है कि प्रधानमंत्री इस्तीफा देकर राहुल को पीएम की कुर्सी दे सकते हैं। हालांकि सरकार की ओर से इसका खंडन किया जा चुका है।

राहुल की पीएम उम्मीदवारी को लेकर उठने लगे सुर
राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने को लेकर कांग्रेस में कोशिशों का दौर जारी है। लिहाजा पार्टी में हर कोई इसका श्रेय लेने की कोशिश में है।

अब भले ही इसे लेकर अनिश्चितता का माहौल हो, लेकिन 17 जनवरी को कांग्रेस की बैठक में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने प्रस्ताव लाया जा सकता है। कई विधायक और सांसद भी ऐसा ही प्रस्ताव दे सकते हैं।

पढ़ें, 'राहुल गांधी जहां से लड़ेंगे वहीं से लड़ूंगा चुनाव'

वहीं पार्टी के कई शीर्ष नेताओं का कहना है कि हाईकमान की मंजूरी के बाद ही पार्टी का कोई नेता ऐसा कर सकता है।

मगर फिर भी 17 जनवरी को सोनिया और राहुल की आंखों में खुद को सबसे बड़ा वफादार बनने की कोशिश में पार्टी के छोटे से बड़े नेता ही नहीं बल्कि आम कार्यकर्त्ता भी जुटे हुए हैं।

इसलिए यह भी संभावना जताई जा रही है कि हाईकमान मंजूरी दे न दें, लेकिन नेता और कार्यकर्त्ता अपने नंबर बढ़ाने का मौका जाने नहीं देंगे।

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