![आखिर ग्राहकों को क्यों परेशान कर रही बीमा कंपनियां? Why bother making insurance companies, customers?](http://img.amarujala.com/2013/09/01/life-insurance-policy-1-52238312c5e24_exl.jpg)
बीमा उत्पादों को गलत तरीके से बेचने और क्लेम के समय ग्राहकों को बरगलाने जैसी शिकायतें बीमा कंपनियों के खिलाफ तेजी से बढ़ रही हैं। पिछले एक साल में शिकायतों का आलम यह है कि कंपनियों के खिलाफ करीब चार गुना शिकायतें बढ़ गई हैं।
बढ़ती शिकायतों को देखते हुए वित्त मंत्रालय भी बीमा नियामक इरडा के साथ मिलकर बेहतर मैकेनिज्म बनाने की तैयारी कर रहा है। जिससे कि बीमा क्षेत्र में शिकायतों की संख्या में न केवल कमी आए, बल्कि कंपनियों पर नजर भी रखी जा सके।
बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के ताजा आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2012-13 की अवधि में बीमा कंपनियों के खिलाफ 24,782 शिकायतें आई हैं। इसमें जीवन बीमा क्षेत्र की 15,711 और साधारण बीमा क्षेत्र की 9,071 शिकायतें हैं। इसकी अगर साल 2011-12 से तुलना की जाए, तो यह संख्या 24 हजार के मुकाबले केवल 7,176 थी।
इंडस्ट्री सूत्रों के अनुसार इस संबंध में इरडा ने सभी कंपनियों से हर महीने रिपोर्ट तैयार करने को कहा है, जिससे कि एक बेहतर डाटा तैयार किया जा सके। इरडा इन कदमों के जरिए नए दिशानिर्देश भी ला सकता है।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपनी फाइनेंशियल सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट में यह चिंता जताई थी कि बीमा कंपनियों के लिए गलत तरीके से उत्पाद बेचने की शिकायतों में काफी इजाफा हुआ। रिजर्व बैंक के अनुसार इस तरह की प्रवृत्ति बीमा कारोबार पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।
इरडा की रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर शिकायतें गलत तरीके से उत्पाद बेचने को लेकर ही आ रही हैं। इसके तहत कुल शिकायतों में से करीब 70 फीसदी शिकायतें ऐसी हैं, जो कि बीमा लोकपाल के पास स्वीकार नहीं की गई हैं। जिसका सीधा सा मतलब है कि ग्राहक को उत्पाद बेचते समय गलत जानकारी एजेंट आदि के जरिए दी गई। यानी, पॉलिसी में बात कुछ और थी, जबकि ग्राहक को जानकारी कुछ और दी गई। इससे उसकी शिकायतें वैधानिक रूप से स्वीकार नहीं हो सकी।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मिस सेलिंग और क्लेम के समय उचित क्लेम न मिलने की शिकायतें काफी बढ़ी है। मंत्रालय की भी इस पर नजर है। कंपनियों को कहा गया है कि वह ग्राहकों के हितों के अनुकूल नीतियां अपनाएं। अधिकारी के अनुसार बीमा क्षेत्र अभी भी बहुत कम आबादी तक पहुंच रखता है। इसके बावजूद कंपनियों के खिलाफ बढ़ रही शिकायतों को देखते हुए इस पर लगाम लगाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
बढ़ती शिकायतों को देखते हुए वित्त मंत्रालय भी बीमा नियामक इरडा के साथ मिलकर बेहतर मैकेनिज्म बनाने की तैयारी कर रहा है। जिससे कि बीमा क्षेत्र में शिकायतों की संख्या में न केवल कमी आए, बल्कि कंपनियों पर नजर भी रखी जा सके।
बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के ताजा आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2012-13 की अवधि में बीमा कंपनियों के खिलाफ 24,782 शिकायतें आई हैं। इसमें जीवन बीमा क्षेत्र की 15,711 और साधारण बीमा क्षेत्र की 9,071 शिकायतें हैं। इसकी अगर साल 2011-12 से तुलना की जाए, तो यह संख्या 24 हजार के मुकाबले केवल 7,176 थी।
इंडस्ट्री सूत्रों के अनुसार इस संबंध में इरडा ने सभी कंपनियों से हर महीने रिपोर्ट तैयार करने को कहा है, जिससे कि एक बेहतर डाटा तैयार किया जा सके। इरडा इन कदमों के जरिए नए दिशानिर्देश भी ला सकता है।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपनी फाइनेंशियल सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट में यह चिंता जताई थी कि बीमा कंपनियों के लिए गलत तरीके से उत्पाद बेचने की शिकायतों में काफी इजाफा हुआ। रिजर्व बैंक के अनुसार इस तरह की प्रवृत्ति बीमा कारोबार पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।
इरडा की रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर शिकायतें गलत तरीके से उत्पाद बेचने को लेकर ही आ रही हैं। इसके तहत कुल शिकायतों में से करीब 70 फीसदी शिकायतें ऐसी हैं, जो कि बीमा लोकपाल के पास स्वीकार नहीं की गई हैं। जिसका सीधा सा मतलब है कि ग्राहक को उत्पाद बेचते समय गलत जानकारी एजेंट आदि के जरिए दी गई। यानी, पॉलिसी में बात कुछ और थी, जबकि ग्राहक को जानकारी कुछ और दी गई। इससे उसकी शिकायतें वैधानिक रूप से स्वीकार नहीं हो सकी।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मिस सेलिंग और क्लेम के समय उचित क्लेम न मिलने की शिकायतें काफी बढ़ी है। मंत्रालय की भी इस पर नजर है। कंपनियों को कहा गया है कि वह ग्राहकों के हितों के अनुकूल नीतियां अपनाएं। अधिकारी के अनुसार बीमा क्षेत्र अभी भी बहुत कम आबादी तक पहुंच रखता है। इसके बावजूद कंपनियों के खिलाफ बढ़ रही शिकायतों को देखते हुए इस पर लगाम लगाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
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