Thursday, January 16, 2014

भारत के बाघों को कुत्तों से खतरा?

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भारत में पहले से ही शिकारियों का निशाना बन रहे बाघों के सामने एक और नया खतरा पैदा हो गया है। बाघों को खतरा अब कुत्तों से भी है।

जी हां, कुत्तों से ही क्योंकि कुत्तों से फैलने वाला एक वायरस, कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस, बाघों के लिए खतरा बन गया है।

भारत में पहले से ही शिकारियों का निशाना बन रहे बाघों के सामने एक और नया खतरा पैदा हो गया है। बाघों को खतरा अब कुत्तों से भी है।

जी हां, कुत्तों से ही क्योंकि कुत्तों से फैलने वाला एक वायरस, कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस, बाघों के लिए खतरा बन गया है।

एनटीसीए ने हाल ही में राज्यों को टाइगर रिजर्व के आसपास के इलाके में घूमने वाले पालतू या आवारा कुत्तों के टीकाकरण के निर्देश दिए हैं।

एनटीसीए के डायरेक्टर राजेश गोपाल ने बीबीसी से कहा, "पिछले जून से इस पर कार्रवाई चल रही है। टाइगर स्टेट्स को हम सलाह देते रहे हैं। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट से मिलकर हिदायतें दी गई हैं। अभी तक एक ही बाघ की मौत सामने आई है जो कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से है।"

दुनिया के करीब 3200 बाघों में से आधे से ज्यादा भारत में हैं। बीमारियों और भूकंप जैसे प्राकृतिक कारणों की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा था कि वो एशियाई शेरों को मध्य प्रदेश के साथ भी बांटे।

आईवीआरआई भी इस वायरस को गंभीर समस्या मानता है।
डॉक्टर गया प्रसाद ने कहा, "एक सैंपल हमारे पास दुधवा नेशनल पार्क से था और दूसरा सैंपल पश्चिम बंगाल से एक पांडा का था। दोनों में वायरस पाया गया। ये वायरस इतना खतरनाक है कि अगर ये वाइल्ड लाइफ रिजर्व में अगर फैल जाए तो बाघों के संरक्षण पर गंभीर असर पड सकता है।"

प्रसाद कहते हैं, "हमारा तो यही सुझाव है कि टाइगर रिजर्व के आसपास जितने कुत्ते घूम रहे हैं उन्हें टीके लगाए जाएं। वो अगर इम्यून हैं तो बीमारी नहीं फैला पाएंगे। चिडियाघरों में टीकाकरण किया जा सकता है।"

सिमटते जंगल

समस्या सिर्फ यहीं तक नहीं है। जंगल सिमट रहे हैं और ऐसे में बाघों के सामने शिकार की समस्या भी खडी हो रही है।

डॉक्टर प्रसाद कहते हैं, "बाघों को जब जंगल में कुछ खाने को नहीं मिलता तो वो बाहर निकलते हैं और कुत्ते मिले तो उन्हें भी मार देते हैं।"

बाघों में संक्रमण फैलने के बाद उनका इलाज बहुत मुश्किल है।
डॉक्टर प्रसाद के मुताबिक ये वायरस बाघों के नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। वो कहते हैं, "बाघ कई बार रास्ते भूल जाता है, जंगल में जाने की जगह खेतों में चल जाता है। भटक जाता है।"

तो क्या बाघों के आदमखोर होने के पीछे ये वायरस भी वजह हो सकता है?

डॉक्टर प्रसाद कहते हैं कि ये भी एक वजह हो सकती है। वो कहते हैं, "मेरे पास कोई सबूत नहीं है लेकिन दिमाग में जो बदलाव होते हैं उनकी वजह से भी हो सकता है कि वो जंगल से निकलकर गांवों की ओर चल पडे।"

वजह चाहे जो हो लेकिन इतना साफ है कि अगर जल्दी ही बाघों को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो उनके अस्तित्व पर सवालिया निशान लग सकता है।

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