Thursday, January 16, 2014

रेप के झूठे मामलों में आरोपी को मिले मुआवजा: कोर्ट

court said compensation given to accused in false rape cases
दुष्कर्म के मामले में झूठा फंसने वाले शख्स को मुआवजा दिया जाना चाहिए। अदालत को ऐसा करने का अधिकार दिया जाए या फिर केंद्र सरकार इसके लिए कानून में बदलाव करे।

यह सलाह विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले का निबटारा करते हुए दी है। द्वारका जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अदालतों को यह अधिकार दिया जाए कि वह दुष्कर्म के मामलों में बरी हुए शख्स को मुआवजा देने का निर्देश पीड़िता अथवा सरकार को दे सकें।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भट ने कहा कि उनका मानना है कि इसके लिए दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने फैसले की कॉपी विधि विभाग के सचिव, भारत सरकार और विधि आयोग के चेयरमैन को उनके विचारार्थ व निर्णय के लिए भेजे जाने के निर्देश दिए।

अदालत की अपनी यह राय दुष्कर्म के एक मामले में निबटारा करते हुए जाहिर की। एक शादीशुदा महिला ने मार्च 2013 में एक शख्स पर दुष्कर्म के आरोप लगाए थे।

मामले की सुनवाई के दौरान महिला यह कहते हुए अपने आरोपों से पलट गई कि उसके आरोपी से सहमतिपूर्ण संबंध थे। इसकी जानकारी जब उसके पति को हुई तो उसने दबाव डालकर आरोपी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया।

अदालत ने इस मामले में झूठी गवाही व साक्ष्य पेश करने के लिए महिला के खिलाफ मुकदमा चलाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि झूठी गवाही देने के लिए महिला पर अलग से मुकदमा चलाया जाए।

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