
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव वरुण गांधी के सुल्तानपुर से चुनाव लड़ने के फैसले के साथ एक बार फिर इंदिरा-नेहरू घराने के चुनावी मुकाबले आंखों के सामने घूमने लगे हैं।
हालांकि वरुण और राहुल तो अलग-अलग चुनाव क्षेत्रों से लड़ रहे हैं, लेकिन अतीत पर नजर डालें तो 1984 में नेहरू परिवार के दो सदस्यों राजीव गांधी और मेनका गांधी में आमने-सामने चुनावी जंग हो चुकी है।
नेहरू परिवार को चुनौतियों की बात करें तो एक खास बात और सामने आती है। इस परिवार को चुनौती हमेशा अपनों से ही मिली, जिनका कभी भाजपा ने इस्तेमाल किया तो कभी जनता पार्टी ने।
हालांकि वरुण और राहुल तो अलग-अलग चुनाव क्षेत्रों से लड़ रहे हैं, लेकिन अतीत पर नजर डालें तो 1984 में नेहरू परिवार के दो सदस्यों राजीव गांधी और मेनका गांधी में आमने-सामने चुनावी जंग हो चुकी है।
नेहरू परिवार को चुनौतियों की बात करें तो एक खास बात और सामने आती है। इस परिवार को चुनौती हमेशा अपनों से ही मिली, जिनका कभी भाजपा ने इस्तेमाल किया तो कभी जनता पार्टी ने।
वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद हुए लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी अमेठी से चुनाव लड़ रहे थे। ऐसा लग रहा था कि राजीव को कोई चुनौती नहीं मिलने वाली, पर उन्हीं के परिवार की मेनका गांधी संजय विचार मंच से अमेठी में चुनाव मैदान में उतर पड़ीं।
उन्होंने नेहरू परिवार पर कई हमले किए। हालांकि राजीव गांधी ने आरोपों का जवाब हमेशा टाल दिया। मेनका चुनाव तो नहीं जीत सकीं लेकिन इस मुकाबले की चर्चा लंबे समय तक रही। चुनाव हारने के बाद मेनका ने कांग्रेस आैर राजीव गांधी पर बूथ कैप्चरिंग और बेईमानी का आरोप लगाया।
कैसे होंगे इस जंग के रंग
वरुण और राहुल के अगल-बगल की सीटों पर अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ने के फैसले से तमाम जिज्ञासाएं पैदा हो रही हैं। खास तौर से यह कि इस जंग के रंग क्या होंगे? वरुण अभी तक राहुल व प्रियंका तथा अपनी ताई सोनिया गांधी की रीति-नीति पर बोलने से परहेज करते रहे हैं।
अब जब वे राहुल के पड़ोस की सीट पर भाजपा से मैदान में उतर रहे हैं तो भी क्या वे इस मर्यादा का पालन करेंगे या फिर अपनी मां का अनुसरण करते हुए राहुल पर हमला बोलेंगे?
एक ही खानदान के ये दो नौजवान सिर्फ अपने क्षेत्रों तक सीमित रहेंगे या अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को जीत दिलाने की कोशिश करेंगे?
अब जब वे राहुल के पड़ोस की सीट पर भाजपा से मैदान में उतर रहे हैं तो भी क्या वे इस मर्यादा का पालन करेंगे या फिर अपनी मां का अनुसरण करते हुए राहुल पर हमला बोलेंगे?
एक ही खानदान के ये दो नौजवान सिर्फ अपने क्षेत्रों तक सीमित रहेंगे या अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को जीत दिलाने की कोशिश करेंगे?
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