एमपी की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। सीएम शिवराज की रातें आजकल सड़कों पर कट रही हैं। वो जानने की कोशिश कर रहे हैं आम आदमी का हाल, उसकी मुश्किलें, उसका दर्द।
वो कभी सड़क खोद कर देखते हैं तो कभी सड़क किनारे वाली दूकान पर चाय पीते हैं, कभी रैनबसेरे में घुस जाते हैं तो कभी फुटपाथ पर सोए लोगों से हाल पूछते हैं।
ये क्या है? आम आदमी पार्टी का असर? या फिर शिवराज की सादगी नोटिस ही पहली मर्तबा की गई?
खैर ये जो भी हो जनता खुश है। पुलिस भी चौकस है कि ना जाने सीएम कब आ जाएं, डॉक्टर भी सर्द रातों में ड्यूटी कर रहे हैं कि जाने कब सीएम पहुंच जाएं। ठेकेदार भी सड़कों को ईमानदारी से बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
लोग कह रहे हैं कि अपना फर्ज बखूबी निभा रहे हैं शिवराज, निभाएं भी क्यों ना आखिर एमपी की जनता ने उनको तीसरी बार सीएम जो बनाया है।
अब सिर्फ देखना ये होगा कि सीएम कितने दिन रातों को सड़कों पर निकलते हैं? आखिर कितने दिनों तक वो गरीब का दर्द जानने की कोशिश करेंगे?
वो कभी सड़क खोद कर देखते हैं तो कभी सड़क किनारे वाली दूकान पर चाय पीते हैं, कभी रैनबसेरे में घुस जाते हैं तो कभी फुटपाथ पर सोए लोगों से हाल पूछते हैं।
ये क्या है? आम आदमी पार्टी का असर? या फिर शिवराज की सादगी नोटिस ही पहली मर्तबा की गई?
खैर ये जो भी हो जनता खुश है। पुलिस भी चौकस है कि ना जाने सीएम कब आ जाएं, डॉक्टर भी सर्द रातों में ड्यूटी कर रहे हैं कि जाने कब सीएम पहुंच जाएं। ठेकेदार भी सड़कों को ईमानदारी से बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
लोग कह रहे हैं कि अपना फर्ज बखूबी निभा रहे हैं शिवराज, निभाएं भी क्यों ना आखिर एमपी की जनता ने उनको तीसरी बार सीएम जो बनाया है।
अब सिर्फ देखना ये होगा कि सीएम कितने दिन रातों को सड़कों पर निकलते हैं? आखिर कितने दिनों तक वो गरीब का दर्द जानने की कोशिश करेंगे?
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