
राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में तीसरा चेहरा सचिन पायलट के रूप में उभरा है।
पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदेश में कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में दो ही नाम सभी के जेहन में आता था, अशोक गहलोत या सी.पी.जोशी।
राजस्थान में शर्मनाक हार के बाद कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने प्रदेश की बागडोर युवा नेता सचिन पायलट को सौंपकर भविष्य में उन्हें इससे भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की ओर इशारा कर दिया है।
पायलट 21 जनवरी को सुबह 11 बजे प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार सम्भालेंगे।
धड़ों की राजनीति से दूर, छवि सुधारने का प्रयास
कांग्रेस ने पायलट को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपकर धड़ों की राजनीति से दूर होने और छवि सुधार की ओर कदम बढ़ाने के प्रयास किए हैं।
पिछले विधानसभा में महंगाई, मोदी लहर के साथ प्रदेश कांग्रेस की जाति व धड़ों की भीतरी राजनीति ने चारों खाने चित कर दिया था। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रभान के इस्तीफे के बाद ब्राह्मणों व जाटों की ओर से दवाब डाला जा रहा था कि अगला प्रदेश अध्यक्ष उनकी जाति से हो।
यही नहीं जयपुर के दो सांसद महेश जोशी व लाल चंद कटारिया भी प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अपनी-अपनी दावेदारी के लिए दवाब बनाए हुए थे। लेकिन पायलट के अध्यक्ष बनने के निर्णय से कांग्रेस आलाकमान ने बताया दिया है कि प्रदेश में पार्टी की हार के बाद नेता बदलने से काम नहीं चलेगा, बल्कि अब गहलोत और सीपी की छवि से अलग छवि के नेता की जरूरत है जो सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की क्षमता रखता हो।
पहली बैठक पहले दिन
पायलट 21 जनवरी को पद सम्भालने के कुछ समय बाद ही दोपहर 2.30 बजे प्रदेश चुनाव समिति की बैठक लेंगे। बैठक में लोकसभा चुनावों के बारे में चर्चा होगी। सचिन पायलट वर्तमान में बतौर केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रदेश और केन्द्र राजनीति में सक्रिय है।
पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदेश में कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में दो ही नाम सभी के जेहन में आता था, अशोक गहलोत या सी.पी.जोशी।
राजस्थान में शर्मनाक हार के बाद कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने प्रदेश की बागडोर युवा नेता सचिन पायलट को सौंपकर भविष्य में उन्हें इससे भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की ओर इशारा कर दिया है।
पायलट 21 जनवरी को सुबह 11 बजे प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार सम्भालेंगे।
धड़ों की राजनीति से दूर, छवि सुधारने का प्रयास
कांग्रेस ने पायलट को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपकर धड़ों की राजनीति से दूर होने और छवि सुधार की ओर कदम बढ़ाने के प्रयास किए हैं।
पिछले विधानसभा में महंगाई, मोदी लहर के साथ प्रदेश कांग्रेस की जाति व धड़ों की भीतरी राजनीति ने चारों खाने चित कर दिया था। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रभान के इस्तीफे के बाद ब्राह्मणों व जाटों की ओर से दवाब डाला जा रहा था कि अगला प्रदेश अध्यक्ष उनकी जाति से हो।
यही नहीं जयपुर के दो सांसद महेश जोशी व लाल चंद कटारिया भी प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अपनी-अपनी दावेदारी के लिए दवाब बनाए हुए थे। लेकिन पायलट के अध्यक्ष बनने के निर्णय से कांग्रेस आलाकमान ने बताया दिया है कि प्रदेश में पार्टी की हार के बाद नेता बदलने से काम नहीं चलेगा, बल्कि अब गहलोत और सीपी की छवि से अलग छवि के नेता की जरूरत है जो सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की क्षमता रखता हो।
पहली बैठक पहले दिन
पायलट 21 जनवरी को पद सम्भालने के कुछ समय बाद ही दोपहर 2.30 बजे प्रदेश चुनाव समिति की बैठक लेंगे। बैठक में लोकसभा चुनावों के बारे में चर्चा होगी। सचिन पायलट वर्तमान में बतौर केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रदेश और केन्द्र राजनीति में सक्रिय है।
No comments:
Post a Comment