विधानसभा में सोमवार को दंगों को लेकर एक बार फिर हंगामा हुआ।
सरकार ने दावा किया कि वर्ष 2009 से 2014 तक केवल पांच दंगे हुए हैं जबकि विपक्षी सदस्यों ने सौ से ज्यादा दंगों की बात कहते हुए सरकार को घेरा।
विपक्ष का कहना था कि पिछले सत्र में ही सरकार ने दंगों की संख्या 27 बताई थी।
इसे लेकर पहले बसपा और फिर भाजपा के सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे।
सदस्यों के हंगामे के चलते विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को दो बार में 15 मिनट के लिए प्रश्न प्रहर की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
प्रश्न प्रहर में कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह और प्रदीप माथुर, भाजपा के सुरेश कुमार खन्ना, डॉ. अरुण कुमार, पीस पार्टी के मो. अयूब और बसपा के नीरज मौर्य ने सरकार से वर्ष 2009 से 2013 तक प्रदेश में हुए दंगों के बारे में विस्तृत जानकारी चाही थी।
संसदीय कार्यमंत्री मो. आजम खां ने सदस्यों के सवाल के जवाब में बताया कि 2009-10 में एक दंगा हुआ जिसमें कोई मौत नहीं हुई। 28 लोग घायल हुए।
2010-11 और 2011-12 में कोई दंगा नहीं हुआ जबकि 2012-13 व 2013-14 में 15 फरवरी 2014 तक कुल चार दंगे हुए।
इनमें जिनमें 73 लोगों की मौत हुई और 153 लोग घायल हुए।
अनुग्रह नारायण सिंह ने अनुपूरक सवाल के जरिये प्रदेश में हर तरह के दंगे की जानकारी मांगी थी जबकि सरकार ने जवाब केवल सांप्रदायिक दंगे तक ही सीमित रखा।
बसपा सदस्यों की नारेबाजी के बीच आजम खां ने कहा कि दंगे में बसपा के लोग भी शामिल थे।
उन्हें बचाने के लिए बसपा सदन में हंगामा कर रही है।
बसपा के लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए और कार्रवाई की गई है। ये मुसलमानों के कभी हमदर्द नहीं रहे।
इनके हंगामे के बाद भाजपा के हुकुम सिंह, सुरेश राणा और सुरेश खन्ना ने सरकार पर हमला बोल दिया।
भाजपा सदस्य भी वेल में आ गए और सवाल किया कि सरकार जब कह रही है कि दंगे में बसपा के लोग थे तो उनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
भाजपा ने आरोप लगाया कि सपा और बसपा मिली हुए हैं। शोरगुल के बीच आजम ने भाजपा को दंगे का चैंपियन बताते हुए आरोप लगाया कि दंगे में भाजपा के लोग सबसे आगे थे।
उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाने की कोशिश की गई लेकिन हमने बनने नहीं दिया।
हंगामे के चलते अध्यक्ष ने 11.38 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। बाद में स्थगन पांच मिनट और बढ़ा दिया गया।
सरकार ने दावा किया कि वर्ष 2009 से 2014 तक केवल पांच दंगे हुए हैं जबकि विपक्षी सदस्यों ने सौ से ज्यादा दंगों की बात कहते हुए सरकार को घेरा।
विपक्ष का कहना था कि पिछले सत्र में ही सरकार ने दंगों की संख्या 27 बताई थी।
इसे लेकर पहले बसपा और फिर भाजपा के सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे।
सदस्यों के हंगामे के चलते विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को दो बार में 15 मिनट के लिए प्रश्न प्रहर की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
प्रश्न प्रहर में कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह और प्रदीप माथुर, भाजपा के सुरेश कुमार खन्ना, डॉ. अरुण कुमार, पीस पार्टी के मो. अयूब और बसपा के नीरज मौर्य ने सरकार से वर्ष 2009 से 2013 तक प्रदेश में हुए दंगों के बारे में विस्तृत जानकारी चाही थी।
संसदीय कार्यमंत्री मो. आजम खां ने सदस्यों के सवाल के जवाब में बताया कि 2009-10 में एक दंगा हुआ जिसमें कोई मौत नहीं हुई। 28 लोग घायल हुए।
2010-11 और 2011-12 में कोई दंगा नहीं हुआ जबकि 2012-13 व 2013-14 में 15 फरवरी 2014 तक कुल चार दंगे हुए।
इनमें जिनमें 73 लोगों की मौत हुई और 153 लोग घायल हुए।
अनुग्रह नारायण सिंह ने अनुपूरक सवाल के जरिये प्रदेश में हर तरह के दंगे की जानकारी मांगी थी जबकि सरकार ने जवाब केवल सांप्रदायिक दंगे तक ही सीमित रखा।
बसपा सदस्यों की नारेबाजी के बीच आजम खां ने कहा कि दंगे में बसपा के लोग भी शामिल थे।
उन्हें बचाने के लिए बसपा सदन में हंगामा कर रही है।
बसपा के लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए और कार्रवाई की गई है। ये मुसलमानों के कभी हमदर्द नहीं रहे।
इनके हंगामे के बाद भाजपा के हुकुम सिंह, सुरेश राणा और सुरेश खन्ना ने सरकार पर हमला बोल दिया।
भाजपा सदस्य भी वेल में आ गए और सवाल किया कि सरकार जब कह रही है कि दंगे में बसपा के लोग थे तो उनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
भाजपा ने आरोप लगाया कि सपा और बसपा मिली हुए हैं। शोरगुल के बीच आजम ने भाजपा को दंगे का चैंपियन बताते हुए आरोप लगाया कि दंगे में भाजपा के लोग सबसे आगे थे।
उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाने की कोशिश की गई लेकिन हमने बनने नहीं दिया।
हंगामे के चलते अध्यक्ष ने 11.38 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। बाद में स्थगन पांच मिनट और बढ़ा दिया गया।
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