![नर्सरी एडमिशन: सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया स्कूलों को झटका Nursery Admission: Suprem court give relief to parents](http://img2.amarujala.com/2014/01/21/supreme-court-of-india-52de771a81f32_exl.jpg)
दिल्ली में नर्सरी एडमिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्राइवेट स्कूलों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।
जज एच.एल दातू की अगुवाई वाले बेंच ने हालांकि प्राइवेट स्कूलों से कहा है कि अगर वह इस मामले को आगे ले जाना चाहते हैं तो हाईकोर्ट जाएं, जहां कोर्ट को स्कूल और बच्चों के हितों को ध्यान में रखते अपना फैसला सुनाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की अधिसूचना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। राज्यपाल ने प्राइवेट स्कूलों मैनेजमेंट कोटा को खत्म करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं - ऐक्शन कमेटी ऑफ अनऐडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स, फोरम फॉर प्रोमोशन ऑफ क्वालिटी एड्यूकेशन फॉर ऑल और कुछ अभिभावकों को 11 मार्च की सुनवाई पहले करने के लिए आवेदन दाखिल करने की छूट दे दी।
खंडपीठ ने कहा कि चूंकि अंतरिम आदेश अंतरिम राहत प्रदान करने से इनकार की प्रकृति का है, हम उस आदेश में भी दखल नहीं देना चाहते इसलिए, हम यह विशेष अनुमति याचिका अस्वीकार करते हैं।
अदालत ने कहा कि हम हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश से आग्रह करते हैं कि वह स्कूलों के हित में और बच्चों के कल्याण में याचिका की सुनवाई यथासंभव तेजी से करने पर विचार करे और उसके लिए हर कोशिश करे।
प्रभावित पक्षों को 11 मार्च से पहले सुनवाई करने के लिए एकल न्यायाधीश के समक्ष आवेदन दायर करने की छूट प्रदान करते हुए खंडपीठ ने कहा कि अगर इस तरह के आवेदन किए जाते हैं तो एकल न्यायाधीश से अनुरोध किया जाता है कि वह इस पर विचार करें और सुनवाई तेज करें।
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपीलों को निबटाते हुए खंडपीठ ने साफ कर दिया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई विचार प्रकट नहीं कर रही है।
शीर्ष अदालत ने खंडपीठ के फैसले के एक पैराग्राफ पर एतराज जताने वाले ऐक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स और फोरम फॉर प्रोमोशन ऑफ क्वालिटी एड्यूकेशन फॉर ऑल के अनुरोध के साथ सहमति जताई और फैसले से उन लाइनों को हटा दिया।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश की पुष्टि की थी. एकल पीठ के फैसले में उप राज्यपाल के 18 दिसंबर 2013 के मार्ग निर्देशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
जज एच.एल दातू की अगुवाई वाले बेंच ने हालांकि प्राइवेट स्कूलों से कहा है कि अगर वह इस मामले को आगे ले जाना चाहते हैं तो हाईकोर्ट जाएं, जहां कोर्ट को स्कूल और बच्चों के हितों को ध्यान में रखते अपना फैसला सुनाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की अधिसूचना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। राज्यपाल ने प्राइवेट स्कूलों मैनेजमेंट कोटा को खत्म करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं - ऐक्शन कमेटी ऑफ अनऐडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स, फोरम फॉर प्रोमोशन ऑफ क्वालिटी एड्यूकेशन फॉर ऑल और कुछ अभिभावकों को 11 मार्च की सुनवाई पहले करने के लिए आवेदन दाखिल करने की छूट दे दी।
खंडपीठ ने कहा कि चूंकि अंतरिम आदेश अंतरिम राहत प्रदान करने से इनकार की प्रकृति का है, हम उस आदेश में भी दखल नहीं देना चाहते इसलिए, हम यह विशेष अनुमति याचिका अस्वीकार करते हैं।
अदालत ने कहा कि हम हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश से आग्रह करते हैं कि वह स्कूलों के हित में और बच्चों के कल्याण में याचिका की सुनवाई यथासंभव तेजी से करने पर विचार करे और उसके लिए हर कोशिश करे।
प्रभावित पक्षों को 11 मार्च से पहले सुनवाई करने के लिए एकल न्यायाधीश के समक्ष आवेदन दायर करने की छूट प्रदान करते हुए खंडपीठ ने कहा कि अगर इस तरह के आवेदन किए जाते हैं तो एकल न्यायाधीश से अनुरोध किया जाता है कि वह इस पर विचार करें और सुनवाई तेज करें।
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपीलों को निबटाते हुए खंडपीठ ने साफ कर दिया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई विचार प्रकट नहीं कर रही है।
शीर्ष अदालत ने खंडपीठ के फैसले के एक पैराग्राफ पर एतराज जताने वाले ऐक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स और फोरम फॉर प्रोमोशन ऑफ क्वालिटी एड्यूकेशन फॉर ऑल के अनुरोध के साथ सहमति जताई और फैसले से उन लाइनों को हटा दिया।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश की पुष्टि की थी. एकल पीठ के फैसले में उप राज्यपाल के 18 दिसंबर 2013 के मार्ग निर्देशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
No comments:
Post a Comment