यौन शोषण के मामले में आरोपी आसाराम के पुत्र नारायण साईं की दिल्ली निवासी सहयोगी मोनिका अग्रवाल से पूछताछ करने के लिए गुजरात पुलिस ने एक बार फिर दिल्ली में दस्तक दी है।
मोनिका के न मिलने पर पुलिस ने उसके पिता को नोटिस थमा कर सूरत में आने की हिदायत दे दी।
उधर, मोनिका ने संभावित गिरफ्तारी के डर से हाईकोर्ट में जमानत आवेदन दायर कर दिया। अदालत ने मोनिका के खिलाफ कोई भी कार्रवाई पर रोक लगाते हुए सूरत पुलिस को नोटिस जारी स्पष्टीकरण मांगा है।
न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराज योग ने आवेदन पर सुनवाई के दौरान कहा कि सूरत पुलिस द्वारा दिए नोटिस में कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि मोनिका को सूरत में क्यों बुलाया जा रहा है। अदालत ने कहा पुलिस ने उससे मात्र पूछताछ करनी है या फिर बतौर आरोपी पूछताछ करनी है।
अदालत ने कहा यदि मात्र नारायण साईं के मामले के संबंध में पूछताछ करनी है तो उसे सूरत बुलाने की जरूरत नहीं है। अदालत ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा मात्र पूछताछ के लिए किसी महिला को दूसरे राज्य में नहीं बुलाया जा सकता।
ऐसे में याची से दिल्ली में ही पूछताछ की जा सकती है। यदि उसके खिलाफ कोई साक्ष्य है तो उसका नोटिस में खुलासा नहीं किया गया। अदालत ने सूरत के एसीपी को नोटिस जारी कर 8 जनवरी तक स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने साथ ही नेताजी सुभाष प्लेस थानाध्यक्ष को निर्देश दिया कि अगले आदेश तक याची के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।
श्रीनगर शकूर बस्ती निवासी मोनिका के वकील दिनहार तकियार ने अदालत को बताया कि सूरत पुलिस ने उनकी मुवक्किला को 16 दिसंबर को नोटिस दिया था जिसमें नारायण साईं यौन शोषण मामले का हवाला दिया गया है।
पहले निचली अदालत में याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने 24 दिसंबर को खारिज कर दी थी, उसके बाद हाई कोर्ट पहुंचे।
दिनहार ने बताया कि उनकी मुवक्किला 11वीं कक्षा में पढ़ने के दौरान से ही साईं के संपर्क में है और जयपुर में मात्र आश्रम द्वारा निकाली जा रही मैगजीन में लिखती है।
मोनिका के न मिलने पर पुलिस ने उसके पिता को नोटिस थमा कर सूरत में आने की हिदायत दे दी।
उधर, मोनिका ने संभावित गिरफ्तारी के डर से हाईकोर्ट में जमानत आवेदन दायर कर दिया। अदालत ने मोनिका के खिलाफ कोई भी कार्रवाई पर रोक लगाते हुए सूरत पुलिस को नोटिस जारी स्पष्टीकरण मांगा है।
न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराज योग ने आवेदन पर सुनवाई के दौरान कहा कि सूरत पुलिस द्वारा दिए नोटिस में कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि मोनिका को सूरत में क्यों बुलाया जा रहा है। अदालत ने कहा पुलिस ने उससे मात्र पूछताछ करनी है या फिर बतौर आरोपी पूछताछ करनी है।
अदालत ने कहा यदि मात्र नारायण साईं के मामले के संबंध में पूछताछ करनी है तो उसे सूरत बुलाने की जरूरत नहीं है। अदालत ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा मात्र पूछताछ के लिए किसी महिला को दूसरे राज्य में नहीं बुलाया जा सकता।
ऐसे में याची से दिल्ली में ही पूछताछ की जा सकती है। यदि उसके खिलाफ कोई साक्ष्य है तो उसका नोटिस में खुलासा नहीं किया गया। अदालत ने सूरत के एसीपी को नोटिस जारी कर 8 जनवरी तक स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने साथ ही नेताजी सुभाष प्लेस थानाध्यक्ष को निर्देश दिया कि अगले आदेश तक याची के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।
श्रीनगर शकूर बस्ती निवासी मोनिका के वकील दिनहार तकियार ने अदालत को बताया कि सूरत पुलिस ने उनकी मुवक्किला को 16 दिसंबर को नोटिस दिया था जिसमें नारायण साईं यौन शोषण मामले का हवाला दिया गया है।
पहले निचली अदालत में याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने 24 दिसंबर को खारिज कर दी थी, उसके बाद हाई कोर्ट पहुंचे।
दिनहार ने बताया कि उनकी मुवक्किला 11वीं कक्षा में पढ़ने के दौरान से ही साईं के संपर्क में है और जयपुर में मात्र आश्रम द्वारा निकाली जा रही मैगजीन में लिखती है।
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