Saturday, December 28, 2013

नेपाल यात्रा रद्द करने पर मजबूर हुईं अमेरिकी राजदूत

us ambassador nancy powell calls off nepal visit
अमेरिकी राजनयिकों के विशेषाधिकारों और सुविधाओं में भारत की ओर से की गई कटौती का असर अब दिखने लगा है।
इसकी पहली गाज अमेरिकी राजदूत नैंसी पॉवेल पर गिरी है। इस कटौती के कारण पॉवेल को अपनी नेपाल यात्रा रद्द करनी पड़ी है।
हालांकि नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि पॉवेल ने अन्य कारणों से अपनी नेपाल यात्रा रद्द की।
उधर भारत ने अपनी महिला राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की अपमानजनक गिरफ्तारी के मामले में अमेरिका पर कूटनीतिक दबाव का फंदा और मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है।
इस कड़ी में जहां विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों के वेतन, आयकर रिटर्न, टैक्स छूट के साथ ही रोजगार संबंधी सारे विवरण की जांच करने का निर्देश सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) को दिया है।
वहीं दूतावास और मिशनों में कार्यरत कर्मचारियों की नियुक्ति, वेतन और सुविधाओं की श्रम कानूनों के अंतर्गत अलग से छानबीन की जा रही है।
अमेरिकी दूतावास ने अब तक कुछ भारतीय कर्मचारियों का ही ब्यौरा विदेश मंत्रालय को उपलब्ध कराया है।
भारत ने साफ संकेत दिया है कि आयकर या श्रम कानूनों का उल्लंघन पाए जाने पर वह जिम्मेदार अमेरिकी राजनयिकों और अधिकारियों पर अपने कानून के तहत कार्रवाई करेगा।
राजनयिकों के भारत में विशेषाधिकारों में की गई हालिया कटौती की गाज सबसे पहले अमेरिकी राजदूत पॉवेल पर ही गिरी है।
सूत्रों के मुताबिक पॉवेल इसी हफ्ते नेपाल जाने वाली थी। इस संबंध में जब उन्होंने विदेश मंत्रालय को अपनी यात्रा का विवरण भेजा तो उन्हें बताया गया कि उन्हें मिले विशेषाधिकार और सुविधाएं बीते 19 दिसंबर को ही वापस ले ली गई हैं। सुविधाएं और विशेषाधिकार रद्द होने के कारण विदेश दौरे के क्रम में अब पॉवेल भी सुरक्षा की अधिकारी नहीं हैं।
इस आशय की जानकारी मिलने के बाद अमेरिकी राजदूत ने अपनी नेपाल की यात्रा रद्द कर दी। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पॉवेल एक प्रतिनिधिमंडल के साथ नेपाल जाने वाली थीं।
चूंकि अब सिर्फ पॉवेल के पास ही एयरपोर्ट पास है, इसलिए प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों को आम यात्रियों की तरह सुरक्षा तामझाम से गुजरना पड़ता।
उधर दबाव बनाने के लिए भारत ने नए कूटनीतिक मोर्चे खोल दिए हैं। भारतीय कर्मचारियों की नियुक्ति और वेतन-सुविधा के मामले में जांच कराई जा रही है कि कहीं इनमें श्रम कानूनों का तो उल्लंघन नहीं हुआ।
भारत इसके जरिए अमेरिका को संदेश देना चाहता है कि उसके राजनयिकों और कर्मचारियों के खिलाफ भी स्थानीय कानून के हिसाब से भविष्य में कार्रवाई की जा सकती है।

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