
साल के अंत तक दिल्ली-आगरा और दिल्ली-चंडीगढ़ रूट पर शताब्दी एक्सप्रेस 160 की स्पीड से दौड़ती नजर आएगी।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेंद्र कुमार ने कहा कि हमें हाई स्पीड रेल कारपोरेशन (एचएसआरसी) से दिल्ली-आगरा और दिल्ली-चंडीगढ़ रूट पर सेमी हाई स्पीड ट्रेन दौड़ाने के लिए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है।�
मौजूदा संसाधनों (पटरी, लोकोमोटिव और कोच) का इस्तेमाल करते हुए ही 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार हासिल करने के लिए इन दोनों रूटों को पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर लिया गया है।
उन्होंने कहा, 'एचएसआरसी ने हमें तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है और हमें उम्मीद है कि साल के अंत तक इस प्रोजेक्ट पर अमल होने की उम्मीद है।'
सेमी हाई स्पीड ट्रेनों के लिए नई पटरियों के सवाल पर कुमार ने कहा कि मौजूदा ट्रैक और रोलिंग स्टॉक हाई स्पीड के लिए सक्षम है। बस पटरियों के अलावा कोच व इंजनों में थोड़ा बहुत अपग्रेडेशन करना होगा।
इसके अलावा पटरियों के दोनों तरफ कई जगह बाड़ भी लगाई जा सकती है। वर्तमान में दिल्ली-आगरा रूट पर अभी 140 की स्पीड से ट्रेन चल रही है जबकि चंडीगढ़ शताब्दी पर अधिकतम गति 110 से 120 के बीच है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेंद्र कुमार ने कहा कि हमें हाई स्पीड रेल कारपोरेशन (एचएसआरसी) से दिल्ली-आगरा और दिल्ली-चंडीगढ़ रूट पर सेमी हाई स्पीड ट्रेन दौड़ाने के लिए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है।�
मौजूदा संसाधनों (पटरी, लोकोमोटिव और कोच) का इस्तेमाल करते हुए ही 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार हासिल करने के लिए इन दोनों रूटों को पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर लिया गया है।
उन्होंने कहा, 'एचएसआरसी ने हमें तीन महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है और हमें उम्मीद है कि साल के अंत तक इस प्रोजेक्ट पर अमल होने की उम्मीद है।'
सेमी हाई स्पीड ट्रेनों के लिए नई पटरियों के सवाल पर कुमार ने कहा कि मौजूदा ट्रैक और रोलिंग स्टॉक हाई स्पीड के लिए सक्षम है। बस पटरियों के अलावा कोच व इंजनों में थोड़ा बहुत अपग्रेडेशन करना होगा।
इसके अलावा पटरियों के दोनों तरफ कई जगह बाड़ भी लगाई जा सकती है। वर्तमान में दिल्ली-आगरा रूट पर अभी 140 की स्पीड से ट्रेन चल रही है जबकि चंडीगढ़ शताब्दी पर अधिकतम गति 110 से 120 के बीच है।
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