
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस के बड़े नेताओं से लेकर विधायक भी बंटे हुए हैं। इसके बावजूद कांग्रेस जल्दबाजी में कोई फैसला लेने से परहेज कर रही है। पार्टी ने कहा है कि आप को समर्थन देने के फैसले पर कोई पुनर्विचार नहीं हो रहा है। कांग्रेस की अब आप के वादों पर नजर टिक गई है।
पार्टी की ओर से आप को समर्थन देने के फैसले की समीक्षा तीन महीने बाद करने के संकेत दिए जा रहे है। कांग्रेस नेताओं की माने तो अगले तीन महीने तक पार्टी केजरीवाल की सरकार से समर्थन लेने के मूड में नहीं है।
आप को समर्थन देने के मसले पर कांग्रेस के आला नेता खुलकर मान रहे हैं कि इसको लेकर पार्टी में मतभेद है। बुधवार को यह बताया गया कि बड़े नेताओं ही नहीं बल्कि कांग्रेस के आठ में से तीन विधायक भी आप को समर्थन देने के खिलाफ हैं। मतभेद खुलकर सामने आने के बावजूद पार्टी प्रवक्ता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने कहा कि आप के समर्थन पर ऐतराज जताने वाले नेताओं की अपनी निजी राय है।
समर्थन देने के फैसले में बदलाव करने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता जनार्दन द्विवेदी ने खुद स्पष्ट कहा है कि पार्टी के अंदर कई नेता है, जो पार्टी के फैसले से अलग राय रखते हैं।
दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है और लोगों को अपनी राय रखने का अधिकार है। दीक्षित ने कहा कि आप के घोषणापत्र में किए गए विकास के दावों को लेकर कांग्रेस ने समर्थन दिया है। अगर आप 15 दिन के अंदर विकास कार्य शुरू करती है तो हमारा समर्थन जारी रहेगा। हम भी दिल्ली का विकास चाहते है।
उधर पार्टी के नेता संकेत दे रहे है कि आप को सरकार चलाने का तीन महीने तक मौका दिया जाएगा। उसी के बाद समर्थन के फैसले पुनर्विचार किया जाएगा। दरअसल, पार्टी के अंदर यह राय भी बनी है कि जल्दबाजी में समर्थन देने का फैसला देने के बाद जल्दबाजी में ही समर्थन वापस लेने का फैसला लिया जाता है तो पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। जनता की नजर में कांग्रेस पर आप की सरकार को बनने से पहले ही गिराने का दाग लगेगा।
पार्टी की ओर से आप को समर्थन देने के फैसले की समीक्षा तीन महीने बाद करने के संकेत दिए जा रहे है। कांग्रेस नेताओं की माने तो अगले तीन महीने तक पार्टी केजरीवाल की सरकार से समर्थन लेने के मूड में नहीं है।
आप को समर्थन देने के मसले पर कांग्रेस के आला नेता खुलकर मान रहे हैं कि इसको लेकर पार्टी में मतभेद है। बुधवार को यह बताया गया कि बड़े नेताओं ही नहीं बल्कि कांग्रेस के आठ में से तीन विधायक भी आप को समर्थन देने के खिलाफ हैं। मतभेद खुलकर सामने आने के बावजूद पार्टी प्रवक्ता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने कहा कि आप के समर्थन पर ऐतराज जताने वाले नेताओं की अपनी निजी राय है।
समर्थन देने के फैसले में बदलाव करने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता जनार्दन द्विवेदी ने खुद स्पष्ट कहा है कि पार्टी के अंदर कई नेता है, जो पार्टी के फैसले से अलग राय रखते हैं।
दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है और लोगों को अपनी राय रखने का अधिकार है। दीक्षित ने कहा कि आप के घोषणापत्र में किए गए विकास के दावों को लेकर कांग्रेस ने समर्थन दिया है। अगर आप 15 दिन के अंदर विकास कार्य शुरू करती है तो हमारा समर्थन जारी रहेगा। हम भी दिल्ली का विकास चाहते है।
उधर पार्टी के नेता संकेत दे रहे है कि आप को सरकार चलाने का तीन महीने तक मौका दिया जाएगा। उसी के बाद समर्थन के फैसले पुनर्विचार किया जाएगा। दरअसल, पार्टी के अंदर यह राय भी बनी है कि जल्दबाजी में समर्थन देने का फैसला देने के बाद जल्दबाजी में ही समर्थन वापस लेने का फैसला लिया जाता है तो पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। जनता की नजर में कांग्रेस पर आप की सरकार को बनने से पहले ही गिराने का दाग लगेगा।
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