
भारतीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी को इस साल के वर्ल्ड डिजिटल एक्टिविस्ट अवॉर्ड से नवाजा गया है।
लंदन में गुरुवार को घोषित अवॉर्ड के विजेता चौधरी ने एक विश्वव्यापी वोटिंग प्रक्रिया में इंटरनेट एक्टिविज्म के दिग्गज एडवर्ड स्नोडेन और दो संस्थाओं को पीछे छोड़ा। लंदन की संस्था इंडेक्स ऑन सेंसरशिप हर साल यह अवॉर्ड देती है।
चौधरी छत्तीसगढ़ और दूसरे आदिवासी इलाकों में पिछले कई साल से सीजीनेट स्वर नामक प्रयोग से जुड़े हैं। सीजीनेट स्वर मीडिया में कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल फोन के माध्यम से अपनी बात कह सकता है, जो सीजीनेट स्वर के कंप्यूटर में रिकॉर्ड होने के बाद लोगों तक इंटरनेट और मोबाइल फोन के जरिए पहुंचती है।
इस अवसर पर चौधरी ने पुरस्कार लेने से पहले अमर उजाला से हुई बातचीत में उन्होंने कहा, " दूर दराज के इलाकों में ऐसे माध्यम की जरुरत है जहां खबरें सिर्फ ऊपर से नीचे न आएं बल्कि नीचे की खबरें भी ऊपर तक पहुंचें। सीजीनेट स्वर इस दिशा में एक कारगर माध्यम साबित हुआ है। " उनका कहना है कि वे समाचार माध्यमों के लोकतंत्रीकरण के हिमायती हैं।
उन्होंने देश के बाहर शॉर्टवेव रेडियो संस्थाओं से मदद देने की अपील करते हुए कहा कि आज मोबाइल फोन के कारण कोई भी भारतीय चाहे वह कितने भी दूरदराज़ के इलाके में रहता हो और कोई भी भाषा बोलता हो, अपनी बात सीजीनेट स्वर के जरिए पत्रकारों, अधिकारियों और दूसरे लोगों तक पहुंच सकता है।
चौधरी ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत रायपुर के देशबंधु अखबार से की थी। वे लंबे समय तक बीबीसी में भी कार्यरत रहे। उन्होंने नक्सल समस्या पर 'उसका नाम वासु नहीं' शीर्षक से एक किताब भी लिखी है।
लंदन में गुरुवार को घोषित अवॉर्ड के विजेता चौधरी ने एक विश्वव्यापी वोटिंग प्रक्रिया में इंटरनेट एक्टिविज्म के दिग्गज एडवर्ड स्नोडेन और दो संस्थाओं को पीछे छोड़ा। लंदन की संस्था इंडेक्स ऑन सेंसरशिप हर साल यह अवॉर्ड देती है।
चौधरी छत्तीसगढ़ और दूसरे आदिवासी इलाकों में पिछले कई साल से सीजीनेट स्वर नामक प्रयोग से जुड़े हैं। सीजीनेट स्वर मीडिया में कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल फोन के माध्यम से अपनी बात कह सकता है, जो सीजीनेट स्वर के कंप्यूटर में रिकॉर्ड होने के बाद लोगों तक इंटरनेट और मोबाइल फोन के जरिए पहुंचती है।
इस अवसर पर चौधरी ने पुरस्कार लेने से पहले अमर उजाला से हुई बातचीत में उन्होंने कहा, " दूर दराज के इलाकों में ऐसे माध्यम की जरुरत है जहां खबरें सिर्फ ऊपर से नीचे न आएं बल्कि नीचे की खबरें भी ऊपर तक पहुंचें। सीजीनेट स्वर इस दिशा में एक कारगर माध्यम साबित हुआ है। " उनका कहना है कि वे समाचार माध्यमों के लोकतंत्रीकरण के हिमायती हैं।
उन्होंने देश के बाहर शॉर्टवेव रेडियो संस्थाओं से मदद देने की अपील करते हुए कहा कि आज मोबाइल फोन के कारण कोई भी भारतीय चाहे वह कितने भी दूरदराज़ के इलाके में रहता हो और कोई भी भाषा बोलता हो, अपनी बात सीजीनेट स्वर के जरिए पत्रकारों, अधिकारियों और दूसरे लोगों तक पहुंच सकता है।
चौधरी ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत रायपुर के देशबंधु अखबार से की थी। वे लंबे समय तक बीबीसी में भी कार्यरत रहे। उन्होंने नक्सल समस्या पर 'उसका नाम वासु नहीं' शीर्षक से एक किताब भी लिखी है।
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