
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मरीजों के लिए आपात स्थिति में ब्लड बैंक नहीं होने से मरीजों को मैदान जनपदों का रुख करना पड़ता है।
बीते वर्ष आपदा की सर्वाधिक मार झेलने वाले रुद्रप्रयाग जनपद सहित तीन अन्य जनपदों बागेश्वर, टिहरी और चंपावत में भी ब्लड बैंक नहीं हैं।
किसी तरह काम चलाया जा रहा
अन्य पर्वतीय जनपदों की हालत भी खास बेहतर नहीं है। गढ़वाल कमिश्नरी मुख्यालय का ब्लड बैंक बिना पैथोलजिस्ट के है, जबकि अन्य पर्वतीय जनपदों में किसी तरह काम चलाया जा रहा है।
राज्य में कहने को 27 ब्लड बैंक संचालित हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश मैदानी जनपदों में हैं। चार धाम यात्रा में भीषण त्रासदी झेलने के बावजूद इस वर्ष भी संवेदनशील क्षेत्रों में ब्लड बैंक की व्यवस्था सरकार नहीं कर पाई है।
पहाड़ों पर अगर कोई व्यक्ति किसी हादसे का शिकार होता है तो इमरजेंसी में उसको चढ़ाने के लिए खून नहीं मिलेगा। यह स्थिति तब है जब सरकार इस बार चार धाम यात्रा से पहले हर सुविधा को चाक चौबंद करने का दावा कर रही है।
मैदानों में पहुंच कर मिलेगा खून
राज्य भर में संचालित 27 ब्लड बैंक से चार केंद्रीय संस्थानों ओएनजीसी, आर्मी अस्पताल देहरादून और रुड़की और बीएचईएल हरिद्वार में स्थित है।
6 ब्लड बैंक निजी संस्थाओं के हैं, जिसमें हिमालयन इंस्टीट्यूट जौलीग्रांट, महंत इंद्रेश अस्पताल, मैक्स अस्पताल, आईएमए देहरादून और दो हरिद्वार जनपद में हैं। शेष 17 ब्लड बैंक सरकारी हैं, जिसमें चार जनपदों को छोड़ शेष सभी में सुविधा है।
कहीं पैथोलजिस्ट नहीं कई कामचलाऊ
चार पर्वतीय जनपदों में ब्लड बैंक नहीं है तो शेष में पैथोलजिस्ट नहीं होने या फिर संविदा पर रिटायर पैथोलजिस्ट से कामचलाऊ व्यवस्था चल रही है।
कमिश्नरी मुख्यालय पौड़ी स्थित अस्पताल के ब्लड बैंक तो है पर पैथोलजिस्ट� नहीं है, जबकि कुमाऊं कमिश्नरी मुख्यालय नैनीताल के सरकारी अस्पताल में रिटायर्ड पैथालजिस्ट से व्यवस्था चलाई जा रही है।
बीते वर्ष आपदा की सर्वाधिक मार झेलने वाले रुद्रप्रयाग जनपद सहित तीन अन्य जनपदों बागेश्वर, टिहरी और चंपावत में भी ब्लड बैंक नहीं हैं।
किसी तरह काम चलाया जा रहा
अन्य पर्वतीय जनपदों की हालत भी खास बेहतर नहीं है। गढ़वाल कमिश्नरी मुख्यालय का ब्लड बैंक बिना पैथोलजिस्ट के है, जबकि अन्य पर्वतीय जनपदों में किसी तरह काम चलाया जा रहा है।
राज्य में कहने को 27 ब्लड बैंक संचालित हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश मैदानी जनपदों में हैं। चार धाम यात्रा में भीषण त्रासदी झेलने के बावजूद इस वर्ष भी संवेदनशील क्षेत्रों में ब्लड बैंक की व्यवस्था सरकार नहीं कर पाई है।
पहाड़ों पर अगर कोई व्यक्ति किसी हादसे का शिकार होता है तो इमरजेंसी में उसको चढ़ाने के लिए खून नहीं मिलेगा। यह स्थिति तब है जब सरकार इस बार चार धाम यात्रा से पहले हर सुविधा को चाक चौबंद करने का दावा कर रही है।
मैदानों में पहुंच कर मिलेगा खून
राज्य भर में संचालित 27 ब्लड बैंक से चार केंद्रीय संस्थानों ओएनजीसी, आर्मी अस्पताल देहरादून और रुड़की और बीएचईएल हरिद्वार में स्थित है।
6 ब्लड बैंक निजी संस्थाओं के हैं, जिसमें हिमालयन इंस्टीट्यूट जौलीग्रांट, महंत इंद्रेश अस्पताल, मैक्स अस्पताल, आईएमए देहरादून और दो हरिद्वार जनपद में हैं। शेष 17 ब्लड बैंक सरकारी हैं, जिसमें चार जनपदों को छोड़ शेष सभी में सुविधा है।
कहीं पैथोलजिस्ट नहीं कई कामचलाऊ
चार पर्वतीय जनपदों में ब्लड बैंक नहीं है तो शेष में पैथोलजिस्ट नहीं होने या फिर संविदा पर रिटायर पैथोलजिस्ट से कामचलाऊ व्यवस्था चल रही है।
कमिश्नरी मुख्यालय पौड़ी स्थित अस्पताल के ब्लड बैंक तो है पर पैथोलजिस्ट� नहीं है, जबकि कुमाऊं कमिश्नरी मुख्यालय नैनीताल के सरकारी अस्पताल में रिटायर्ड पैथालजिस्ट से व्यवस्था चलाई जा रही है।
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