Sunday, February 9, 2014

सोनिया गांधी के खिलाफ सबूत, अमेरिका में इनाम

reward against sonia gandhi in new york
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर की केंद्रीय अदालत में सिख विरोधी दंगों के सिलसिले में जो मुक़दमा चल रहा है अब उसमें एक दिलचस्प मोड़ आ गया है।

अब मुक़दमा दायर करने वाली संस्था 'सिख्स फ़ॉर जस्टिस' ने सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ सबूत देने वालों को 20 हज़ार डॉलर का इनाम देने की घोषणा की है।

इसके लिए शहर के एक दैनिक समाचार पत्र में विज्ञापन भी प्रकाशित किया गया है।

अदालत में सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ यह मुक़दमा ख़ारिज होने की कगार पर है क्योंकि अदालत में मुक़दमा दायर करने वाले यह साबित नहीं कर पा रहे हैं कि उन्होंने सोनिया गांधी को अदालती समन पहुंचा दिए थे।

'सिख्स फ़ॉर जस्टिस' संस्था के वकील गुरपतवंत पानुन कहते हैं, "सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ मुक़दमे में चूंकि उनके इस दावे का बहुत महत्व है कि जब उनको अदालती समन दिए गए थे तब वह सितंबर महीने में अमेरिका में थीं ही नहीं। इसलिए हमने इनाम की घोषणा की है जिससे इस रहस्य पर से पर्दा हटाया जा सके कि सोनिया गांधी 2013 के सितंबर महीने में अमेरिका में थीं या नहीं।"

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sonia gandhi

















लेकिन पानुन यह मानते हैं कि उन्होंने अमेरिका में सोनिया गांधी को नहीं देखा था।

पानुन कहते हैं, "हम तो भारत के समाचार पत्रों में सोनिया गांधी के न्यूयॉर्क आने जाने के बार में छपी ख़बरों के आधार पर उस अस्पताल में उनके ख़िलाफ़ अदालती समन पहुंचा कर आए थे, हमने उन्हें देखा तो नहीं था।"

संस्था की ओर से न्यूयॉर्क शहर के एक समाचार पत्र 'एएम न्यूयॉर्क' में एक विज्ञापन छापा गया है जिसमें सोनिया गांधी की तस्वीर के साथ लिखा है: "अगर आपने सोनिया गांधी को सितंबर 2, 2013 और सितंबर 9, 2013 के बीच अमेरिका में देखा है और आप अमेरिकी अदालत में जज के सामने गवाही दे दें तो आपको 'सिख्स फ़ॉर जस्टिस' की ओर से 20,000 डॉलर (क़रीब 12 लाख रुपए) इनाम दिया जाएगा।"

इसके अलावा विज्ञापन में फ़ोन नम्बर भी दिए गए हैं जिस पर लोग सूचना दे सकते हैं।

अख़बार के पिछले पन्ने पर क्रॉसवर्ड पज़ल के बराबर में पेज के एक चौथाई हिस्से में छपे इस विज्ञापन में भारत में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के बारे में भी जानकारी दी गई है।

यह समाचार पत्र रोज़ाना हर रेल स्टेशन और बस स्टेशन आदि पर मुफ़्त में बांटा जाता है।

सुबह काम पर आने जाने वाले बहुत से लोग इस समाचार पत्र को लेकर पढ़ते भी हैं।

जवाब

एक अनुमान के अनुसार, न्यूयॉर्क शहर में इस समाचार पत्र के पाठकों की संख्या 13 लाख से अधिक है।

सिख संस्था के वकील का यह भी कहना है कि सोनिया गांधी पिछले साल सितंबर महीने में अमेरिका में मौजूद होने के बारे में कई अलग बयान दे चुकी हैं।

लेकिन सोनिया गांधी ने पिछले साल 28 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी के लेटरहेड पर लिखे एक पत्र में मामले को देख रहे जज को अपने वकील के ज़रिए बताया था कि ''मैं साल 2013 में सितंबर महीने में दो और नौ तारीख़ के बीच में न्यूयॉर्क में मौजूद नहीं थी। और मुझे किसी प्रकार का समन नहीं दिया गया।"

सेनिया गांधी के इस पत्र के साथ कई अन्य तथ्यों का हवाला देते हुए उनके वकील रवि बत्रा ने गत दो जनवरी को अदालत से मुक़दमा ख़त्म करने की अपील भी की थी।

इस सिलसिले में अदालत ने 'सिख्स फ़ॉर जस्टिस' और मुक़दमा दायर करने वाले दो अन्य लोगों को जवाब दाख़िल करने को कहा है।

उसी के बाद से 'सिख्स फ़ॉर जस्टिस' संस्था ने इस प्रकार विज्ञापन के ज़रिए सबूत इकठ्ठे करने की क़वायद शुरू की।

लेकिन इसमें इस संस्था को कामयाबी मिलेगी, इसके आसार कम ही लगते हैं।

भारत में दंगा न्यूयॉर्क में समन

सिख संस्था के वकील का कहना है कि सिर्फ़ एक पत्र लिख देने भर से यह साबित नहीं होता कि वह सितंबर महीने में अमरीका में ही नहीं थी। बल्कि सोनिया गांधी को अदालत में एक हलफ़िया बयान दर्ज कराना चाहिए।

वह समन इस सिख संस्था और 1984 के दंगों के दो पीड़ितों मोहिंदर सिंह और जसबीर सिंह द्वारा अदालत में सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ मुक़दमा दायर किए जाने के बाद जारी किए गए थे।

मुक़दमे में आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी अपनी कांग्रेस पार्टी के उन कार्यकर्ताओं और नेताओं को बचा रही हैं जो 1984 के दंगों में कथित तौर पर शामिल थे।

अमेरिकी क़ानून के तहत सोनिया गांधी को यह अदालती समन व्यक्तिगत रूप से पहुंचाने की ज़िम्मेदारी मुक़दमा दायर करने वालों की होती है।

मुक़दमे में सोनिया गांधी से 1984 के दंगों के पीड़ितों के लिए हर्जाने की भी मांग की गई है।

1984 में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों में लगभग तीन हज़ार सिख मारे गए थे।

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