Tuesday, January 28, 2014

मोदी वीजा मामले में हस्तक्षेप से हाईकोर्ट का इंकार

high court decision in modi visa case
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को वीजा नहीं देने की मांग करने वाले सांसदों के खिलाफ आदेश पारित करने से हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है।

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि मामला न्यायिक पुनर्विलोकन की श्रेणी का नहीं है। न्यायालय को इस मामले में हस्तक्षेप करने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है।

जनहित याचिका में लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति को समादेश जारी कर उक्त सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश देने की मांग की गई थी।

उदित चंद्रा द्वारा दाखिल जनहित याचिका में कहा गया कि लोकसभा और राज्यसभा के करीब दर्जन भर सांसदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांग की थी कि नरेंद्र मोदी को अमेरिका वीजा न दे क्योंकि उन पर गुजरात में हुए नरसंहार में शामिल होने का आरोप है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि सांसदों ने घरेलू मामले को विदेश में उठाकर देश की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है। उनके कार्य से संसद की गरिमा को भी ठेस पहुंची है। ऐसे सांसदों को अयोग्य करार देने के लिए आदेश देने की मांग की गई।

खंडपीठ ने याची की मांग को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि हाईकोर्ट को अंतर्निहित शक्तियों के तहत ऐसा आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है। सुप्रीमकोर्ट ने राजाराम पाल बनाम लोकसभा स्पीकर के मामले में न्यायिक पुनर्विलोकन का पैरामीटर तय कर दिया है। यह मामला न्यायिक पुनर्विलोकन की परिधि से बाहर है। याची चाहे तो सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपनी बात रख सकता है।

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