
तीन मार्च की रात बीतने वाली थी और चार तारीख का सूरज निकलने वाला था। हावड़ा-भोपाल एक्सप्रेस अपनी रफ्तार से पटरियों पर दौड़ रही थी।
अचानक लुटेरों ने ट्रेन में कहर बरसाना शुरू कर दिया। यात्री लुट रहे थे, लुटेरे लूट के साथ यात्रियों की पिटाई भी कर रहे थे।
इसी ट्रेन में एक फौजी भी बैठा था जिसको ये बर्दाश्त नहीं हुआ और वो लुटेरों से भिड़ गया। लुटेरों को विरोध की उम्मीद नहीं थी। अचानव इस हमले से घबराए अपराधी भाग खड़े हुए।
दो अपराधियों को फौजी शशि कपूर ने पकड़ भी लिया। लुटेरों ने उनको दो गोली मारीं जिनमें से एक उनके सिर में लगी जबकि दूसरी गोली उनके हाथ में लगी।
फिलहाल उनका इलाज सेना के अस्पताल में चल रहा है। उनकी बहादुरी के चर्चे झारखंड के लोगों की जुबान पर हैं।
अचानक लुटेरों ने ट्रेन में कहर बरसाना शुरू कर दिया। यात्री लुट रहे थे, लुटेरे लूट के साथ यात्रियों की पिटाई भी कर रहे थे।
इसी ट्रेन में एक फौजी भी बैठा था जिसको ये बर्दाश्त नहीं हुआ और वो लुटेरों से भिड़ गया। लुटेरों को विरोध की उम्मीद नहीं थी। अचानव इस हमले से घबराए अपराधी भाग खड़े हुए।
दो अपराधियों को फौजी शशि कपूर ने पकड़ भी लिया। लुटेरों ने उनको दो गोली मारीं जिनमें से एक उनके सिर में लगी जबकि दूसरी गोली उनके हाथ में लगी।
फिलहाल उनका इलाज सेना के अस्पताल में चल रहा है। उनकी बहादुरी के चर्चे झारखंड के लोगों की जुबान पर हैं।
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