
खबर है कि इस बंटवारे के तहत लालू को अपनी मनपसंद सीटों की बलि चढ़ानी पड़ी है। उन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी उतारे जाने की खबर बता रही है कि कितने मजबूर होकर लालू को ये त्याग करना पड़ा है।
गठबंधन के तहत राजद बिहार की 27 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस 12 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। वहीं राकांपा को एक सीट पर उम्मीदवार खड़ा करने का मौका मिलेगा।
हालांकि सीट बंटवारे पर अभी तक इन राजनीतिक दलों की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन माना जा रहा है कि लालू और सोनिया गांधी के बीच हुई मुलाकात में ये बंटवारा फाइनल हुआ है।
इससे पहले लालू यादव ने कांग्रेस को बिहार में 11 सीट और राकांपा को एक सीट देने पर चुनाव लडने का ऑफर दिया था।
लेकिन कांग्रेस की तरफ से इसे लेकर कोई खासा उत्साह न दिखने पर लालू को कांग्रेस को मनचाही सीट देने के साथ साथ उनकी संख्या भी बढ़ानी पड़ी।
दरअसल कांग्रेस मधुबनी, पूर्वी चंपारन, जहानाबाद, नवादा और भागलपुर की सीट मांग रही थी जबकि लालू इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहते थे। इन सीटों पर दोनों दलों के दावे के चलते गठबंधन की हवा निकलती प्रतीत हो रही थी।
वहीं बिहार कांग्रेस का एक वर्ग चाह रहा था कि पार्टी इस बार अकेले ही चुनाव मैदान में हाथ आजमाए।
चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव की बिहार में कमजोर छवि को देखते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी राजद के साथ गठबंधन करने में खासी रुचि नहीं दिखा रहे थे।
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