Friday, March 28, 2014

आतंकी भुल्लर की सजा बदलने में केंद्र सरकार को कोई परेशानी नहीं

the centre has no problem to change bhullar's punishment
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बृहस्पतिवार को सूचित किया कि उसे खालिस्तान समर्थक आतंकवादी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने पर कोई परेशानी नहीं है। दया याचिकाओं के निपटारे में विलंब के आधार पर मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील करने की शीर्षस्थ अदालत की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए उसकी याचिका मंजूर की जानी है।

चीफ जस्टिस पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें अनुमति दी जाएगी। क्योंकि दोषी की दया याचिका का निपटारा आठ साल के विलंब से किया गया था। पीठ ने कहा कि इस मामले में अब 31 मार्च को संक्षिप्त आदेश सुनाया जाएगा।

वहीं, अटार्नी जनरल ने कहा कि वह पीठ को यह बताना चाहते हैं कि 21 जनवरी के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए केंद्र सरकार की याचिका खारिज की जा चुकी है। अंतत: हमें 21 जनवरी के फैसले का पालन करना होगा और इसमें हमें कोई परेशानी नहीं है। अटार्नी ने पीठ से कहा कि भुल्लर की पत्नी नवनीत कौर की सुधारात्मक याचिका के गुण दोष पर गौर करने की अब कोई आवश्यकता नहीं है।

इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने भुल्लर के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मांगी और मानसिक चिकित्सा संस्थान की आठ फरवरी की रिपोर्ट पर गौर किया। अदालत ने 31 जनवरी को भुल्लर की फांसी तामील किए जाने पर रोक लगाते हुए अपने उस फैसले पर पुनर्विचार करने पर सहमति जतायी थी जिसके तहत 1993 के दिल्ली बम विस्फोट कांड में उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की अपील ठुकरा दी गई थी। गौरतलब है कि सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करने के साथ ही इहबास संस्थान से भुल्लर के स्वास्थ्य के बारे में रिपोर्ट मांगी थी।

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