
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के नाम से राजस्थान के बीकानेर जिले में जमीनों की खरीद-फरोख्त नहीं की गई। ये रिपोर्ट बीकानेर कलक्टर ने राजस्व मण्डल को भेजी है।
विधानसभा में सवाल लगने के बाद राजस्थान के सभी जिलों के कलक्टरों को वाड्रा से संबंधित जमीनों की जानकारी मांगी गई थी।
मामले के अनुसार भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस की गहलोत सरकार के समय जिन कंपनियों के नाम से जमीनों की खरीद की गई, उनमें वाड्रा डायरेक्टर हैं। आरोप है कि वाड्रा की कंपनियों ने वर्ष 2009 से 2011 तक 1634 हेक्टेयर भूमि की खरीद-फरोख्त की थी।
हाल ही विधानसभा में तीन विधायकों ने बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर क्षेत्र में बाहर की कंपनियों द्वारा जमीनों की खरीद-फरोख्त का मुद्दा उठाया था। डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने पूछा था कि वाड्रा के नाम से बीकानेर में जमीनों की खरीद-फरोख्त हुई या नहीं।
कैबिनेट मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ और रोहिताश सिंह ने राजस्व मंत्री से सवाल करने के दौरान वर्ष 2010 से 2013 तक इन चारों क्षेत्रों में जमीनों की खरीद-फरोख्त करने वाली कंपनियों के नामों का उल्लेख किया था।
विधानसभा में लगे प्रश्न के तहत बताया गया कि बीकानेर में नॉर्थ इंडिया आईटी पाक्र्स लिमिटेड के नाम से 15 रजिस्ट्रियां 406.36 बीघा, रियल अर्थ प्राइवेट लिमिटेड की छह रजिस्ट्रियां 149.37 बीघा, स्काई लाइट रियलटी प्राइवेट लि. की पांच रजिस्ट्रियां 279.42 बीघा तथा स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लि. के नाम चार रजिस्ट्रियां 280.63 बीघा भूमि की तीन साल की अवधि में हुई हैं। बाद में इन कंपनियों ने अन्य व्यक्ति और कंपनियों को भी भूमि विक्रय की है।
गौरतलब है कि भाजपा सांसदों ने 21 दिसंबर 2013 को इस संबंध में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पत्र लिखकर कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट के तहत जांच करवाने की मांग की थी। भाजपा नेताओं का आरोप है कि बीकानेर और उसके आस-पास के जिलों में वाड्रा और उनसे जुड़ी कंपनियों ने सीलिंग एक्ट का उल्लंघन किया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इशारे पर सरकारी अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया। शिकायत मिलने के बाद भी पूर्ववर्ती सरकार ने इसकी जांच नहीं की।
विधानसभा में सवाल लगने के बाद राजस्थान के सभी जिलों के कलक्टरों को वाड्रा से संबंधित जमीनों की जानकारी मांगी गई थी।
मामले के अनुसार भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस की गहलोत सरकार के समय जिन कंपनियों के नाम से जमीनों की खरीद की गई, उनमें वाड्रा डायरेक्टर हैं। आरोप है कि वाड्रा की कंपनियों ने वर्ष 2009 से 2011 तक 1634 हेक्टेयर भूमि की खरीद-फरोख्त की थी।
हाल ही विधानसभा में तीन विधायकों ने बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर क्षेत्र में बाहर की कंपनियों द्वारा जमीनों की खरीद-फरोख्त का मुद्दा उठाया था। डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने पूछा था कि वाड्रा के नाम से बीकानेर में जमीनों की खरीद-फरोख्त हुई या नहीं।
कैबिनेट मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ और रोहिताश सिंह ने राजस्व मंत्री से सवाल करने के दौरान वर्ष 2010 से 2013 तक इन चारों क्षेत्रों में जमीनों की खरीद-फरोख्त करने वाली कंपनियों के नामों का उल्लेख किया था।
विधानसभा में लगे प्रश्न के तहत बताया गया कि बीकानेर में नॉर्थ इंडिया आईटी पाक्र्स लिमिटेड के नाम से 15 रजिस्ट्रियां 406.36 बीघा, रियल अर्थ प्राइवेट लिमिटेड की छह रजिस्ट्रियां 149.37 बीघा, स्काई लाइट रियलटी प्राइवेट लि. की पांच रजिस्ट्रियां 279.42 बीघा तथा स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लि. के नाम चार रजिस्ट्रियां 280.63 बीघा भूमि की तीन साल की अवधि में हुई हैं। बाद में इन कंपनियों ने अन्य व्यक्ति और कंपनियों को भी भूमि विक्रय की है।
गौरतलब है कि भाजपा सांसदों ने 21 दिसंबर 2013 को इस संबंध में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पत्र लिखकर कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट के तहत जांच करवाने की मांग की थी। भाजपा नेताओं का आरोप है कि बीकानेर और उसके आस-पास के जिलों में वाड्रा और उनसे जुड़ी कंपनियों ने सीलिंग एक्ट का उल्लंघन किया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इशारे पर सरकारी अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया। शिकायत मिलने के बाद भी पूर्ववर्ती सरकार ने इसकी जांच नहीं की।
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