Wednesday, March 12, 2014

अजित के 'अमर' दांव से हिल गई भाजपा

bjp get shocked by chaudhry step
चौधरी अजित सिंह के दांव से वेस्ट यूपी में भाजपा को एक और झटका लगा है।

चुनावी नतीजे चाहे जो भी हों लेकिन जाट आरक्षण के बाद अमर सिंह और जयाप्रदा की एंट्री से राष्ट्रीय लोकदल कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ा है।

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद रालोद को बड़ा झटका लगा था। जाट और मुसलमान उससे छिटक गए थे। अजित सिंह और जयंत चौधरी ने सद्भावना कायम करने की कोशिशें की।

जयंत गांव-गांव गए। कुछ हद तक उनकी नाराजगी दूर होने के बाद जाट आरक्षण के फैसले से रालोद को थोड़ी मजबूती मिली।

फिर भी बड़ी समस्या यह संदेश देने की थी कि रालोद लोकसभा चुनाव की लड़ाई जीतने के लिए लड़ रहा है। ऐसी स्थिति बनने पर ही उसे जाटों का ज्यादा समर्थन मिलने की उम्मीद थी।

अमर सिंह और जयाप्रदा को पार्टी में शामिल करके चौधरी अजित सिंह ने यही संदेश देने की कोशिश की है। अमर सिंह भले ही सपा से अलग होने के बाद राजनीति में खास असर न छोड़ पाए हों लेकिन चर्चा में बने रहते हैं।

छोटी पार्टी होने के कारण उनके आने से रालोद के कारकून में उत्साह का संचार हुआ है। ऐसी संभावना है कि रालोद जयाप्रदा को बिजनौर की सिटिंग सीट से चुनाव लड़ाएंगे।

अमर सिंह को फतेहपुर सीकरी से चुनावी जंग में उतारा जा सकता है। दोनों ही सीटों पर जाट वोट अच्छी तादाद में हैं। फतेहपुर सीकरी में जाटों के साथ ही ठाकुर वोट भी काफी हैं।

तो बदलेगा राजनीतिक समीकरण
सपा ने फतेहपुर सीकरी से कैबिनेट मंत्री राजा महेंद्र अरिदमन सिंह की पत्नी पक्षालिका सिंह को प्रत्याशी बनाया है। बसपा से पूर्व मंत्री उपाध्याय की पत्नी और मौजूदा सांसद सीमा उपाध्याय मैदान में हैं।

अमर सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने से वहां राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आएगा। वह चुनाव में मजबूत कोण बनकर उभर सकते हैं। बिजनौर में जयाप्रदा के ग्लैमर और परंपरागत वोटरों के भरोसे रालोद चुनावी जंग लड़ेगा।

इन दोनों नेताओं के आने से अब तक भाजपा के पक्ष में बन रही बेहतर चुनावी संभावनाएं थोड़ी धूमिल हो सकती हैं। जाट आरक्षण से भी भाजपा को मामूली झटका लगा है।

उसके लिए वेस्ट यूपी का मैदान एकदम साफ नहीं रहेगा। बिजनौर सीट पर सपा ने पूर्व विधायक शाहनवाज राणा और बसपा ने पूर्व विधायक मलूक नागर को प्रत्याशी बनाया है।

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