
ऐसे समय में जब देश में सांप्रदायिक ताकतें मजहबी दीवार खड़ी करके मतभेद डालने की कोशिश में जुटी हों, उमरपुर, नीवा के हाजी एखलाक अहमद ने अनूठी मिसाल पेश की है।
पांच वक्त के नमाजी हाजी एखलाक ने मधुबन विहार कॉलोनी में शिव मंदिर बनाने के लिए न सिर्फ अपनी जमीन दान में दी बल्कि मंदिर का शिलान्यास भी किया। मंदिर बनाने के लिए ईंट और चंदे के तौर पर रकम भी दी।
अब्बू के नाम से मशहूर हाजी ने बृहस्पतिवार को महाशिवरात्रि के मौके पर महागौरी मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सुबह महारुद्राभिषेक के बाद सुंदरकांड का सामूहिक पाठ किया गया।
इसी मंदिर में बने सत्संग हॉल का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में कालोनी निवासियों के साथ ही नीवा, सलोरी के सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।
लोगों ने बताया कि उनकी मांग पर हाजीजी ने महागौरी मंदिर के लिए जमीन दी और मंदिर निर्माण के लिए सबसे ज्यादा सहयोग भी।
हाजी एखलाक ने कहा, 'सबका मालिक तो एक ही है, फिर मजहब अलग-अलग हों तो क्या।' सामाजिक सरोकारों के लिए जुटे हाजीजी ने मंदिर निर्माण में मदद के साथ ही मशहूर खजूर वाली मस्जिद का भी जीर्णोद्धार कराया।
अशफाक मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक अब्बू की देखरेख में संचालित मदरसे में बच्चे दीनी और दुनियावी तालीम सीख रहे हैं।
पांच वक्त के नमाजी हाजी एखलाक ने मधुबन विहार कॉलोनी में शिव मंदिर बनाने के लिए न सिर्फ अपनी जमीन दान में दी बल्कि मंदिर का शिलान्यास भी किया। मंदिर बनाने के लिए ईंट और चंदे के तौर पर रकम भी दी।
अब्बू के नाम से मशहूर हाजी ने बृहस्पतिवार को महाशिवरात्रि के मौके पर महागौरी मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सुबह महारुद्राभिषेक के बाद सुंदरकांड का सामूहिक पाठ किया गया।
इसी मंदिर में बने सत्संग हॉल का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में कालोनी निवासियों के साथ ही नीवा, सलोरी के सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।
लोगों ने बताया कि उनकी मांग पर हाजीजी ने महागौरी मंदिर के लिए जमीन दी और मंदिर निर्माण के लिए सबसे ज्यादा सहयोग भी।
हाजी एखलाक ने कहा, 'सबका मालिक तो एक ही है, फिर मजहब अलग-अलग हों तो क्या।' सामाजिक सरोकारों के लिए जुटे हाजीजी ने मंदिर निर्माण में मदद के साथ ही मशहूर खजूर वाली मस्जिद का भी जीर्णोद्धार कराया।
अशफाक मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक अब्बू की देखरेख में संचालित मदरसे में बच्चे दीनी और दुनियावी तालीम सीख रहे हैं।
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